कोरोना वायरस का कहर जारी है। सावधानी के लिए प्रदेश सरकार ने 31 मार्च तक स्कूल कॉलेजों को बंद कर दिया
देहरादून। कोरोना वायरस का कहर जारी है। दुनिया भर में सैकड़ों जान ले चुका ये वायरस अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर रहा है। दून के बाजारों में भी इसका प्रभाव साफ दिख रहा है। दवा कारोबार की रीढ़ तोड़ने के बाद कोरोना ने होली को भी फीका कर दिया। व्यापारियों का नुकसान तो हुआ ही साथ में त्योहार का उल्लास भी कम रहा। कोरोना से बचाव के प्रति स्वास्थ्य विभाग ने लोगों का जागरूक किया है। जिससे कोरोना वायरस से बचाव के लिए उपाय अपना रहे हैं। हाथ ना मिलाए, गले ना मिलें बस हाथ जोड़ कर सत्कार करें जैसे पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब फॉरवर्ड हो रहे हैं। मिलने पर भी लोग दूर से हाथ जोड़ रहे हैं। सावधानी के लिए प्रदेश सरकार ने 31 मार्च तक स्कूल कॉलेजों को बंद कर दिया है जिससे कोरोना वायरस प्रदेश में फैल न पाए। उम्मीद है कि प्रदेश सरकार का यह प्रयास सफल रहेगा।
पुरस्कार नहीं असल सम्मान जरूरी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शहर में खूब आयोजन हुए। बड़े- बड़े संगठनों ने पूरे बंदोबस्त के साथ महिला दिवस मनाया। कार्यक्रमों में महिलाओं को पुरस्कृत करने, सशक्तीकरण पर बात करने का प्रचलन निभाया गया। सवाल ये है कि क्या बड़े आयोजन और पुरस्कार मिलने से महिलाएं जिस सम्मान की हकदार है वे उन्हें मिल रहा है। जबकि महिलाओं ने अपनी योग्यता हर क्षेत्र में सिद्ध की है। लेकिन उसके बाद भी महिलाएं उपेक्षित हैं। इसलिए एक दिन मंच से महिलाओं को पुरस्कार मिले या नहीं, रोजमर्रा के जीवन में सम्मान मिलना जरूरी है। इसकी शुरुआत भी बड़े मंच से नहीं बल्कि घर से ही होनी चाहिए। क्योंकि देखा जाता है कि परिवार को सशक्त करने की भूमिका निभाने वाली महिलाओं की ही घरों में उपेक्षा की जाती है। उन्हें महत्व को कम करके आंका जाता है। लेकिन अब हमें संकल्पित होना होगा कि महिलाओं को हर जगह उचित सम्मान मिले।