बिजनौर । भारतवर्ष के सच्चे देशभक्तों से हमारे जनप्रतिनिधिसीख लें। प्रधानमंत्री राहत कोष में दान देने में जनप्रतिनिधियों को सबसे आगे होना चाहिए था, लेकिन शर्म के साथ कहना पड़रहा है वह पीछे हैं।
पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से लड़रही है। वहीं भारतवर्ष के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस से जनमानस को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। महामारी से लड़ने के लिये धन के लिये श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के उद्योगपतियों व आम जनता से हाथ जोड़कर कोरोना फंड में दान देने की अपील की है जिसको मद्देनजर रखते हुए प्रसिद्ध उद्योगपतियों, सेलिब्रिटियों ने दिल खोलकर दान देना शुरू कर दिया है, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़रहा है कि नरेन्द्र मोदी लोगों से हाथ जोड़कर दान देने की अपील कर रहे हैं, वहीं वह लोग जो उनकी टीम में शामिल हैं, टिकट लेने और चुनाव लड़ने में करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा देते हैं, लेकिन वह हमारे जनप्रतिनिधि आज अपने मुखियों कहने के अनुसार भी दान देने हिचकिचा रहें हैं जिससे ऐसा लगता कि जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के दौरान ही जनता के होते हैं, जीतने के बाद उन्हें जनता की कोई फिक्र नहीं होतीहालांकि कुछ जनप्रतिनिधियों शहीदों की लिस्ट में अपना नाम लिखाते हुए निधि से पैसा देने की घोषणा की है, जिसको लेकर आम जनता में उनके प्रति भारी रोष है।
कुछ लोगों का कहना है कि निधि सरकार और जनता के उपयोग के लियेजबकि जो उन्हें वेतन मिलता है वो जनता के वोट की बदौलत ही मिलता है और वह जनप्रतिनिधियों का होता है। अगर हमारे देश के जनप्रतिनिधि 6 माह का अपना वेतन प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्रियों को राहत कोष में दे दें तो कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकारों को किसी भी उद्योगपति से चंदा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कुछ लोगों का कहना है कि हमारे जनप्रतिनिधियों को शर्म आनी चाहिए। हमारे देश का मुखिया चंदे की अपील करता है और जनप्रतिनिधि जनता के वोट के कारण मिल रहे वेतन को भी देने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों को आने वाले चुनाव में जनता सबक सिखा सकती है। देश की पैरामिलिट्री फोर्स के जवान वास्तव में सच्चे देशभक्त हैं। उन्होंने यह एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में देकर सिद्ध कर दिया है।
इतना ही नहीं आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन ने भी एक-एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में देकर अपनी देश के प्रति जिम्मेदारी निर्वाह की है, लेकिन इन लोगों से भी हमारे जनप्रतिनिधि सीख नहीं ले पा रहे हैंजिनका कार्य था वह चुप बैठे हैं और दूसरे दिल खोलकर दान दे रहे हैं।